मेरी ताकद का तुमै अंदाज़ा नहीं ,
मै औरत हु , इस बात की मुझे शर्म नहीं।
हौसला रखती हु , मै कुछ कर दिखाने का ,
इसीलिए मुझे कमजोर समजना मत कभी।
हा , ताने सुनती हु मै हर रोज ,
पर मेरी खामोशी।
मेरी पहेचान नहीं ,
हर महिने तकलीफ सहेती हु ,
जिसका ऐहसास तुमे होगा ही नहीं।
लोग भले ही चाहे जो भी कहे ,
पर मेरी दुनिया की रानी हु मै अभी।
जात ,धरम मे भले ही बाट दो मुझे ,
पर मेरा अस्तित्व मुझसे कभी छूटेगा नहीं।
आज की महिला हु मै ,
जहा रास्ते , मै खुद बनाती हु सही,
कोई साथ दे ना दे ,
पर मै एक औरत हु ,
जो कभी हारेगी नहीं।
कवी : आकाश अहिरे
No comments:
Post a Comment